रुद्रावतार हनुमान जी ..............
हनुमान जी को शिवजी का अंश माना जाता है । जैसे ही शिवजी का नाम आता है वैसे ही योग और तंत्र स्वतः साथ जुड़ जाता है । यही बात हनुमान जी में दिखलाई पड़ती है ।
जितनी घटनायें हैं जैसे सूर्य को निगल लेना या सुरसा के समान ही शरीर विस्तार करना या लघु रूप धारण कर लेना, आदि आदि, ये सब योग विभूतियों के लक्षण हैं ।
वैसे ही मायावी राक्षसों के साथ निपटना, ये बात भी तंत्र विद्या पर सर्वाधिकार के लक्षणों में आता है । वैसे भी भूत पिसाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै, काफी है जताने को ।
रामायण में देखा जाए तो नारायण के अंश माने जाने वाले सर्वप्रिय रामजी की भक्ति में तल्लीन हनुमान जी का कैरेक्टर अद्भुद ही है जो हर समय सबको अचरज में डालता आया है । सेवा भाव, निष्कपटता, चातुर्य, विद्या से बली होना, युद्ध विद्या में पारंगत होना, योग तंत्र में निष्णात, सुधी साधु जन की रक्षा में तत्पर रहना, सुग्रीव से मैत्री निभाना, लक्ष्मण की प्राणरक्षा को फटाफट भागना और पहाड़ ही ले आना, ताकि पूरा औषधालय ही समक्ष रहे, वापिस भागना न् पड़े, युद्ध का डेमो देकर रावण की सभा को डरा आना, माता सीता के समक्ष छोटे बालक की तरह दूत का कार्य करना, विभीषण के राम राम जाप से पहचानना, ऐसे तो लिस्ट खत्म न् हो । पर अद्भुद चरित्र । मेरा परम प्रिय चरित्र जो सर्वजन हिताय के लक्ष्य को लेकर चलता हो ।
मुख्य चरित्र तो राम जी रहे । पर बिना हनुमान जी के रामायण की कल्पना करना ही असम्भव सा लगता है ।
हनुमान जी सब विश्वास करने वालों पर कृपा करें । परम जाग्रत देवता तत्व में से कलिकाल में यही हैं । परमात्मा से एकाकार । जय हो ।